अजपा जाप के विषय में संत सहजोबाई जी ने कहा है कि
*लेटे ,बैठे, चालते,* *खान पान, ब्यौहार* *जहां तहाँ सुमिरण करौं*
*सहजो हिये निहार*
लेटे ,बैठे बैठे, चलते फिरते या खाते समय ( हरेक चेष्टा करते हुए )
हर समय अपने अंतः करण मे दृष्टा भाव से सुमिरण करने की कोशिश करनी चाहिए। यहां अपने मन को चैक करते रहना चाहिए कि सुमिरण चल रहा है या मनिया संसार का ही चिंतन कर रहा है।
बार-बार खींच कर उसे अपने इष्ट श्री सतगुरु देव जी के शब्द में लगाएं या अपने सदगुरुदेव इष्ट का ध्यान मन में लाएं...
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