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बिदार क्षेत्र के किसानों द्वारा उस समय के संघर्ष के लोकगीत आज भी गाये जाते हैं | #HyderabadMuktiSangram

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हैदराबाद राज्य की स्थापना औरंगज़ेब के जनरल गाज़ीउद्दीन खान फ़िरोज़ जंग के बेटे मीर क़मरुद्दीन चिन किलिच खान ने की थी जिसने पहले खलीफा, अबू बकर के साथ अपने वंश का दावा किया था| #hyderabadmuktisangram

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यह एक प्रमुख राज्य था। 1 करोड़ 60 लाख जनसंख्या, 26 करोड़ रुपये वार्षिक राजस्व और 82000 वर्ग मील क्षेत्र और इसकी अपनी मुद्रा थी| #HyderabadMuktiSangram

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ब्रिटिश प्रशासन ने अन्य राज्यों की तुलना में हैदराबाद के साथ कभी भी विशेष व्यवहार नहीं किया, जिसकी निज़ाम हमेशा से इच्छा रखता था| #HyderabadMuktiSangram

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हैदराबाद मुग़ल साम्राज्य का एक अंतिम अवशेष था जो एक निर्णायक भूराजनीतिक स्थिति में था क्योंकि यह उत्तर में मध्य प्रांतों, पश्चिम में बॉम्बे और पूर्व और दक्षिण में मद्रास से घिरा हुआ था| #HyderabadMuktiSangram

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निज़ाम की महत्वाकांक्षाएं और गतिविधियां केवल राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं थी बल्कि निज़ाम एक मुस्लिम चरमपंथी संगठन मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एम्आईएम) के माध्यम से बहुसंख्यक हिंदुओं मे आतंक और डर पैदा करके सत्ता पर अपनी पकड़ बना रखी थी। #HyderabadMuktiSangram

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कई दौर की बातचीत के बाद, नवंबर 1947 में, हैदराबाद ने भारत के साथ एक ठहराव समझौते पर हस्ताक्षर किए,जिसमें राज्य में भारतीय सैनिकों को तैनात करने के अलावा अन्य सभी व्यवस्थाओं को जारी रखा गया। #HyderabadMuktiSangram

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एम्आईएम संगठन के पास लगभग 20 हजार स्वैच्छिक कार्यकर्ता थे जिन्हे रजाकार कहा जाता था। ये निजाम के संरक्षण में समाज में आतंक का माहौल बनाने के लिए काम करते थे। इस संगठन के प्रमुख का नाम कासिम राजवी था जो चाहता था कि या तो हैदराबाद का विलय पाकिस्तान में हो या फिर स्वतंत्र रहे। #HyderabadMuktiSangram

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स्वतंत्र भारत में निजाम के शासन के विरोध में हैदराबाद के लोग स्वतंत्रता के लिए आंदोलन कर रहे थे| #HyderabadMuktiSangram

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सत्याग्रहियों ने हैदराबाद मुक्ति कार्य मे बढ़ चढ़कर भाग लिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वारंगल का किला निज़ाम के लोगों का केंद्र था और वहाँ पर न केवल तिरंगा फहराया जा रहा था बल्कि देश भक्ति के नारे भी लग रहे थे #HyderabadMuktiSangram

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हैदराबाद पर सैन्य कार्यवाही से पूर्व युवाओं और किसानो द्वारा निज़ाम की पुलिस और रजाकारों के विरुद्ध मोर्चा खोलना हैदराबाद के भारत विलय का एक स्वर्णिम अध्याय है #HyderabadMuktiSangram

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राष्ट्र की मुख्य धारा मे सम्मिलित होने के लिए निज़ाम, और उसकी रजाकार निजी सेना के अत्याचारों के विरुद्ध किया गया सशस्त्र संघर्ष जनता में राष्ट्रीयता की भावना का एक अनुपम उदाहरण है #HyderabadMuktiSangram

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15 अगस्त के बाद स्थानीय हिंदुओं ने संघ के स्वयंसेवकों की मदद से निज़ाम के विरुद्ध जन संघर्ष तेज कर दिया निज़ाम की सेना, रजाकार और रोहिल्ला लड़ाके सत्याग्रहियों पर अत्याचार कर रहे थे और पकड़कर जेलों मे डाल रहे थे जनवरी 1948 मे निज़ाम ने बाहर से गुंडे बुलवाकर सत्याग्रहियों पर जेल के भीतर भी हमले करवाए | #HyderabadMuktiSangram

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मोहम्मद अली जिन्ना 1947 में हैदराबाद आया और एक बड़ी सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कई भड़काऊ बयान दिए। उसने कहा `हम मुर्गे की गर्दन की तरह हिन्दू को तोड़ देंगे। हम उन्हें गाजर मूली की तरह काट देंगे’ जिसने रजाकारों को और भी अधिक आक्रमक किया | #HyderabadMuktiSangram

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इत्तेहादुल मुस्लिमीन' संगठन ने यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि मुसलमान शासक थे और हिन्दू ग़ुलाम थे। और निज़ाम मुसलमानों का नुमांयदा है।इस धर्मांन्ध संगठन ने रजाकारों का निर्माण किया #HyderabadMuktiSangram

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निजाम ने राज्य मशीनरी को मजबूत किया और अपने दमनकारी तानाशाही शासन को आगे बढ़ाया। उसने खुद का समर्थन करने के लिए एक धार्मिक संगठन `इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ का निर्माण किया। #HyderabadMuktiSangram

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सत्याग्रहियों ने हैदराबाद मुक्ति कार्य मे बढ़ चढ़कर भाग लिया। अगस्त 1946 मे जब वारंगल शहर मे रजाकारों ने मारकाट मचाई तो स्वयं सेवकों ने वारंगल किले के उत्तर क्षेत्र मे कतार बनाकर विरोध प्रदर्शन किया और तिरंगा फहराया| #HyderabadMuktiSangram

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जहाँ एक तरफ निज़ाम की तरफ से रजाकारों के माध्यम से बहुसंख्यक हिंदुओं की भारत मे विलय की इच्छा को डरा धमकाकर दबाया जा रहा था और हिन्दू-मुस्लिम एकता की दिखावटी तस्वीर दुनिया के सामने परोसी जा रही थी, वही दूसरी तरफ बहुसंख्यक हिंदुओं ने भी अपने स्तर पर अपनी आवाज सामने लाने मे कोई कमी नहीं रखी। #HyderabadMuktiSangram

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हैदराबाद का भारत विलय भारतीय इतिहास की अद्वितीय घटना है क्योंकि यह अपने आप में पहला अभियान था जिसमें अब तक भारत मे प्रचलित शासन और सत्ताओं के बीच संघर्ष की परंपरा से हटकर सीधे जनता भी भागीदार बनी। #HyderabadMuktiSangram

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13 सितंबर से 17 सितंबर 1948 तक चले इस 109 घंटे के अभियान को “ऑपरेशन पोलो” नाम दिया गया। 17 सितंबर को हैदराबाद के निजाम ने अपनी सेना के साथ आत्म समर्पण कर दिया और हैदराबाद का सफलतापूर्वक भारत मे विलय हो गया। #HyderabadMuktiSangram

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सरदार पटेल ने हैदराबाद रियासत द्वारा समझौते का उल्लंघन करने का एक ज्ञापन दिया। निज़ाम की तरफ से भारत सरकार की आपत्तियों का उचित उत्तर और समाधान देने के बजाय एक सिरे से खारिज कर दिया गया। #HyderabadMuktiSangram

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सरदार पटेल ने हैदराबाद के निज़ाम के कदमों को गंभीरता से लेते हुए सेना को सितंबर 1948 मे हैदराबाद राज्य के विलय के लिए कार्रवाई का आदेश दिया। #HyderabadMuktiSangram

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उग्रवादी रज़ाकारों जिनके समर्थन से निज़ाम स्वतंत्र इस्लामिक राज्य स्थापित करना चाहता था, उनके द्वारा हिंसा, लूट और बलात्कार की गतिविधियों से राज्य के बहुसंख्यक हिंदुओं का जीवन नरक बन गया। #HyderabadMuktiSangram

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निज़ाम हैदराबाद का भारत में विलय बिल्कुल नहीं कराना चाहते थे।जहाँ वह एक तरफ बार-बार प्रतिनिधि मण्डल भेजकर भारत सरकार को उलझाए रखना चाहते थे वहीं पर वो विदेशों से हथियारों की खरीद भी कर रहे थे और जिन्ना के भी संपर्क मे थे| #HyderabadMuktiSangram

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सरदार पटेल ने लॉर्ड माउंटबेटन को एक पत्र लिखा जिसमे निज़ाम के दुराग्रह की विस्तृत चर्चा की गयी और भारत के लिए हैदराबाद विलय की सामरिक आवश्यकता का विस्तार से उल्लेख किया। #HyderabadMuktiSangram

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8 अगस्त को निज़ाम ने फिर से माउंटबेटन को लिखा कि वे भारत के साथ एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य के रूप में लगभग स्वायत्तता की शर्तों के साथ एक समझौता करना चाहेंगे जिसमें विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ किसी भी युद्ध के मामले में भारत के साथ गठबंधन न करने का विशेषाधिकार रखेंगे #hyderabadmuktisangram

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निज़ाम ने छेत्री के नवाब के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल लॉर्ड माउंटबेटन से मिलने के लिए भेजा जिसमे निज़ाम द्वारा बेरार क्षेत्र को पुनः हैदराबाद को वापस सौपने और हैदराबाद को ब्रिटिश राज्य का स्वतंत्र डोमिनियन का दर्जा देने की मांग पर चर्चा करने की बात कही गयी थी। #HyderabadMuktiSangram

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दो राज्यों भारत और पाकिस्तान के गठन की ब्रिटिश सरकार की 3 जून की योजना की घोषणा के बाद, हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान, आसफ जाह (सातवें)ने भारत और पाकिस्तान के घटक विधानसभाओं में किसी भी प्रतिनिधि को नहीं भेजने और स्वतंत्र संप्रभु बनने के लिए एक फरमान जारी किया| #hyderabadmuktisangram

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निज़ाम ने एक फरमान जारी किया जिसमे भारत या पाकिस्तान की संविधान सभाओं मे हैदराबाद का कोई भी प्रतिनिधि न भेजने के निर्णय की अधिसूचना जारी की गयी। #HyderabadMuktiSangram

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राज्य की 85% आबादी हिंदू थी, लेकिन उन्हें नागरिक, पुलिस और सेना के पदों से वंचित कर दिया गया था, इन सभी पदों पर मुसलमान ही अधिक थे।निज़ाम द्वारा स्थापित 132 सदस्यीय विधान सभा में कुल मिलाकर, मुसलमान अधिकांश थे| #hyderabadmuktisangram

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