हैदराबाद राज्य की स्थापना औरंगज़ेब के जनरल गाज़ीउद्दीन खान फ़िरोज़ जंग के बेटे मीर क़मरुद्दीन चिन किलिच खान ने की थी जिसने पहले खलीफा, अबू बकर के साथ अपने वंश का दावा किया था| #hyderabadmuktisangram
ब्रिटिश प्रशासन ने अन्य राज्यों की तुलना में हैदराबाद के साथ कभी भी विशेष व्यवहार नहीं किया, जिसकी निज़ाम हमेशा से इच्छा रखता था| #HyderabadMuktiSangram
हैदराबाद मुग़ल साम्राज्य का एक अंतिम अवशेष था जो एक निर्णायक भूराजनीतिक स्थिति में था क्योंकि यह उत्तर में मध्य प्रांतों, पश्चिम में बॉम्बे और पूर्व और दक्षिण में मद्रास से घिरा हुआ था| #HyderabadMuktiSangram
निज़ाम की महत्वाकांक्षाएं और गतिविधियां केवल राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं थी बल्कि निज़ाम एक मुस्लिम चरमपंथी संगठन मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एम्आईएम) के माध्यम से बहुसंख्यक हिंदुओं मे आतंक और डर पैदा करके सत्ता पर अपनी पकड़ बना रखी थी। #HyderabadMuktiSangram
कई दौर की बातचीत के बाद, नवंबर 1947 में, हैदराबाद ने भारत के साथ एक ठहराव समझौते पर हस्ताक्षर किए,जिसमें राज्य में भारतीय सैनिकों को तैनात करने के अलावा अन्य सभी व्यवस्थाओं को जारी रखा गया। #HyderabadMuktiSangram
एम्आईएम संगठन के पास लगभग 20 हजार स्वैच्छिक कार्यकर्ता थे जिन्हे रजाकार कहा जाता था। ये निजाम के संरक्षण में समाज में आतंक का माहौल बनाने के लिए काम करते थे। इस संगठन के प्रमुख का नाम कासिम राजवी था जो चाहता था कि या तो हैदराबाद का विलय पाकिस्तान में हो या फिर स्वतंत्र रहे। #HyderabadMuktiSangram
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सत्याग्रहियों ने हैदराबाद मुक्ति कार्य मे बढ़ चढ़कर भाग लिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वारंगल का किला निज़ाम के लोगों का केंद्र था और वहाँ पर न केवल तिरंगा फहराया जा रहा था बल्कि देश भक्ति के नारे भी लग रहे थे #HyderabadMuktiSangram
हैदराबाद पर सैन्य कार्यवाही से पूर्व युवाओं और किसानो द्वारा निज़ाम की पुलिस और रजाकारों के विरुद्ध मोर्चा खोलना हैदराबाद के भारत विलय का एक स्वर्णिम अध्याय है #HyderabadMuktiSangram
राष्ट्र की मुख्य धारा मे सम्मिलित होने के लिए निज़ाम, और उसकी रजाकार निजी सेना के अत्याचारों के विरुद्ध किया गया सशस्त्र संघर्ष जनता में राष्ट्रीयता की भावना का एक अनुपम उदाहरण है #HyderabadMuktiSangram
15 अगस्त के बाद स्थानीय हिंदुओं ने संघ के स्वयंसेवकों की मदद से निज़ाम के विरुद्ध जन संघर्ष तेज कर दिया निज़ाम की सेना, रजाकार और रोहिल्ला लड़ाके सत्याग्रहियों पर अत्याचार कर रहे थे और पकड़कर जेलों मे डाल रहे थे जनवरी 1948 मे निज़ाम ने बाहर से गुंडे बुलवाकर सत्याग्रहियों पर जेल के भीतर भी हमले करवाए | #HyderabadMuktiSangram
मोहम्मद अली जिन्ना 1947 में हैदराबाद आया और एक बड़ी सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कई भड़काऊ बयान दिए। उसने कहा `हम मुर्गे की गर्दन की तरह हिन्दू को तोड़ देंगे। हम उन्हें गाजर मूली की तरह काट देंगे’ जिसने रजाकारों को और भी अधिक आक्रमक किया | #HyderabadMuktiSangram
इत्तेहादुल मुस्लिमीन' संगठन ने यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि मुसलमान शासक थे और हिन्दू ग़ुलाम थे। और निज़ाम मुसलमानों का नुमांयदा है।इस धर्मांन्ध संगठन ने रजाकारों का निर्माण किया #HyderabadMuktiSangram
निजाम ने राज्य मशीनरी को मजबूत किया और अपने दमनकारी तानाशाही शासन को आगे बढ़ाया। उसने खुद का समर्थन करने के लिए एक धार्मिक संगठन `इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ का निर्माण किया। #HyderabadMuktiSangram
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सत्याग्रहियों ने हैदराबाद मुक्ति कार्य मे बढ़ चढ़कर भाग लिया। अगस्त 1946 मे जब वारंगल शहर मे रजाकारों ने मारकाट मचाई तो स्वयं सेवकों ने वारंगल किले के उत्तर क्षेत्र मे कतार बनाकर विरोध प्रदर्शन किया और तिरंगा फहराया| #HyderabadMuktiSangram
जहाँ एक तरफ निज़ाम की तरफ से रजाकारों के माध्यम से बहुसंख्यक हिंदुओं की भारत मे विलय की इच्छा को डरा धमकाकर दबाया जा रहा था और हिन्दू-मुस्लिम एकता की दिखावटी तस्वीर दुनिया के सामने परोसी जा रही थी, वही दूसरी तरफ बहुसंख्यक हिंदुओं ने भी अपने स्तर पर अपनी आवाज सामने लाने मे कोई कमी नहीं रखी। #HyderabadMuktiSangram
हैदराबाद का भारत विलय भारतीय इतिहास की अद्वितीय घटना है क्योंकि यह अपने आप में पहला अभियान था जिसमें अब तक भारत मे प्रचलित शासन और सत्ताओं के बीच संघर्ष की परंपरा से हटकर सीधे जनता भी भागीदार बनी। #HyderabadMuktiSangram
13 सितंबर से 17 सितंबर 1948 तक चले इस 109 घंटे के अभियान को “ऑपरेशन पोलो” नाम दिया गया। 17 सितंबर को हैदराबाद के निजाम ने अपनी सेना के साथ आत्म समर्पण कर दिया और हैदराबाद का सफलतापूर्वक भारत मे विलय हो गया। #HyderabadMuktiSangram
सरदार पटेल ने हैदराबाद रियासत द्वारा समझौते का उल्लंघन करने का एक ज्ञापन दिया। निज़ाम की तरफ से भारत सरकार की आपत्तियों का उचित उत्तर और समाधान देने के बजाय एक सिरे से खारिज कर दिया गया। #HyderabadMuktiSangram
सरदार पटेल ने हैदराबाद के निज़ाम के कदमों को गंभीरता से लेते हुए सेना को सितंबर 1948 मे हैदराबाद राज्य के विलय के लिए कार्रवाई का आदेश दिया। #HyderabadMuktiSangram
उग्रवादी रज़ाकारों जिनके समर्थन से निज़ाम स्वतंत्र इस्लामिक राज्य स्थापित करना चाहता था, उनके द्वारा हिंसा, लूट और बलात्कार की गतिविधियों से राज्य के बहुसंख्यक हिंदुओं का जीवन नरक बन गया। #HyderabadMuktiSangram
निज़ाम हैदराबाद का भारत में विलय बिल्कुल नहीं कराना चाहते थे।जहाँ वह एक तरफ बार-बार प्रतिनिधि मण्डल भेजकर भारत सरकार को उलझाए रखना चाहते थे वहीं पर वो विदेशों से हथियारों की खरीद भी कर रहे थे और जिन्ना के भी संपर्क मे थे| #HyderabadMuktiSangram
सरदार पटेल ने लॉर्ड माउंटबेटन को एक पत्र लिखा जिसमे निज़ाम के दुराग्रह की विस्तृत चर्चा की गयी और भारत के लिए हैदराबाद विलय की सामरिक आवश्यकता का विस्तार से उल्लेख किया। #HyderabadMuktiSangram
8 अगस्त को निज़ाम ने फिर से माउंटबेटन को लिखा कि वे भारत के साथ एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य के रूप में लगभग स्वायत्तता की शर्तों के साथ एक समझौता करना चाहेंगे जिसमें विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ किसी भी युद्ध के मामले में भारत के साथ गठबंधन न करने का विशेषाधिकार रखेंगे #hyderabadmuktisangram
निज़ाम ने छेत्री के नवाब के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल लॉर्ड माउंटबेटन से मिलने के लिए भेजा जिसमे निज़ाम द्वारा बेरार क्षेत्र को पुनः हैदराबाद को वापस सौपने और हैदराबाद को ब्रिटिश राज्य का स्वतंत्र डोमिनियन का दर्जा देने की मांग पर चर्चा करने की बात कही गयी थी। #HyderabadMuktiSangram
दो राज्यों भारत और पाकिस्तान के गठन की ब्रिटिश सरकार की 3 जून की योजना की घोषणा के बाद, हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान, आसफ जाह (सातवें)ने भारत और पाकिस्तान के घटक विधानसभाओं में किसी भी प्रतिनिधि को नहीं भेजने और स्वतंत्र संप्रभु बनने के लिए एक फरमान जारी किया| #hyderabadmuktisangram
निज़ाम ने एक फरमान जारी किया जिसमे भारत या पाकिस्तान की संविधान सभाओं मे हैदराबाद का कोई भी प्रतिनिधि न भेजने के निर्णय की अधिसूचना जारी की गयी। #HyderabadMuktiSangram
राज्य की 85% आबादी हिंदू थी, लेकिन उन्हें नागरिक, पुलिस और सेना के पदों से वंचित कर दिया गया था, इन सभी पदों पर मुसलमान ही अधिक थे।निज़ाम द्वारा स्थापित 132 सदस्यीय विधान सभा में कुल मिलाकर, मुसलमान अधिकांश थे| #hyderabadmuktisangram