मैं जाऊं तो कहाँ जाऊं ?
खेत में जाने पर लोग लाठियों से पीटते हैं... घर से तो बहुत पहले ही मुझे निकाल दिया गया है... हज़ारों सालों से मैने किसानों का साथ दिया, मनुष्यों का पालतू बनकर रहा, मेरी जाति का दूध, दही, पनीर, घी, माखन, छाछ आज भी मानव जाति प्रयोग करती है...
मेरी चमड़ी, मेरी हड्डी, मेरा मूत्र, मेरा गोबर हर चीज़ मेरा कतरा कतरा मानव जाति को समर्पित रहा है... मैं ही मानव जाति का ट्रॅक्टर व कार जीप बनकर उनको 21वी सदी तक लाया हूँ, लेकिन अफसोस आजकल अधिकतर लोग मेरी जगह कुत्ता पालते है व मैं कुत्ते की जगह गली गली मारा मारा फिरता हूँ व कुछ लोग मुझसे नफरत करते है, मुझे मारकर भी खा जाते है...
यही मेरी व्यथा है जिसे कोई नही सुनता...
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