शयन के नियम
सूने घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। देवमन्दिर और श्मशान में भी नहीं सोना चाहिए *(मनुस्मृति)*
किसी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए। *(विष्णुस्मृति)*
विद्यार्थी, नौकर औऱ द्वारपाल, ये ज्यादा देर तक सोए हुए हों तो, इन्हें जगा देना चाहिए। *(चाणक्यनीति)*
स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए। *(देवीभागवत)*
बिल्कुल अंधेरे कमरे में नहीं सोना चाहिए। *(पद्मपुराण)*
भीगे पैर नहीं सोना चाहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है। *(अत्रिस्मृति)*
टूटी खाट पर तथा जूठे मुंह सोना वर्जित है। *(महाभारत)*
पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता, उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु, तथा दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है। *(आचारमय़ूख)*
दिन में कभी नही सोना चाहिए। परन्तु जेष्ठ मास मे दोपहर के समय एक मुहूर्त (48 मिनट) के लिए सोया जा सकता है।
*(जो दिन मे सोता है उसका नसीब फुटा है)*
दिन में तथा सुर्योदय एवं सुर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है। *(ब्रह्मवैवर्तपुराण)*
सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना चाहिए।
बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं।
दक्षिण दिशा (South) में पाँव रखकर कभी नही सोना चाहिए। यम और दुष्टदेवों का निवास रहता है। कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है स्मृति- भ्रंश, मौत व असंख्य बीमारियाँ होती है।
ह्रदय पर हाथ रखकर, छत के पाट या बीम के नीचें और पाँव पर पाँव चढ़ाकर निद्रा न लें।
शय्या पर बैठकर खाना-पीना अशुभ है।
सोते सोते पढना नही चाहिए।
ललाट पर तिलक लगाकर सोना अशुभ है। इसलिये सोते वक्त तिलक हटा दें।