मिर्गी का इलाज ।
बादाम, बड़ी इलायची, अमरूद और अनार के 17 पत्ते सब को कूटकर दो गिलास पानी में उबाले जब पानी आधा रह जाये तो नमक मिलाकर पिला दें। इस तरह दिन में दो बार पिलायें कुछ ही दिनों में मिरगी रोग समाप्त हो जाता है।
अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब ६ माह करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं।
एप्सम साल्ट (मेग्नेशियम सल्फ़ेट) मिश्रित पानी से मिर्गी रोगी स्नान करे। इस उपाय से दौरों में कमी आ जाती है और दौरे भी ज्यादा भयंकर किस्म के नहीं आते है।
मिट्टी को पानी में गीली करके रोगी के पूरे शरीर पर प्रयुक्त करना अत्यंत लाभकारी उपचार है। एक घंटे बाद नहालें। इससे दौरों में कमी होकर रोगी स्वस्थ अनुभव करेगा।
विटामिन B6 (पायरीडाक्सीन) का प्रयोग भी मिर्गी रोग में परम हितकारी माना गया है। यह विटामिन गाजर,मूम्फ़ली,चावल,हरी पतीदार सब्जियां और दालों में अच्छी मात्रा में पाया जाता है। १५०-२०० मिलिग्राम विटामिन B6 लेते रहना अत्यंत हितकारी है।
मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है। इनसे बचना जरूरी है।
मिर्गी रोगी को 250 ग्राम बकरी के दूध में 50 ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य प्रात: दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। जरूर आजमाएं।
रोजाना तुलसी के 20 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
पेठा मिर्गी की सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ मिलता है। स्वाद सुधारने के लिये रस में शकर और मुलहटी का पावडर भी मिलाया जा सकता है।
100 मिलि दूध में इतना ही पानी मिलाकर उबालें दूध में लहसुन की 4 कुली चाकू से बारीक काटक्रर डालें ।यह मिश्रण रात को सोते वक्त पीयें। कुछ ही रोज में फ़ायदा नजर आने लगेगा।
गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फ़ायदा पहुंचाने वाला उपाय है। दस ग्राम नित्य खाएं।
होम्योपैथी की औषधियां मिर्गी में हितकारी सिद्ध हुई हैं।कुछ होम्योपैथिक औषधियां है–
क्युप्रम, आर्टीमेसिया, साईलीशिया, एब्सिन्थियम, हायोसायमस, एगेरिकस, स्ट्रामोनियम, कास्टिकम, साईक्युटा विरोसा, ईथुजा| इन दवाओं का लक्षणों के मुताबिक उपयोग करने से मिर्गी से मुक्ति पाई जा सकती है।
तुलसी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है।
राई पीसकर चूर्ण बना लें। जब रोगी को दौरा पड़े तो सुंघा दें इससे रोगी की बेहोशी दूर हो जायगी।
मिर्गी के रोगी के लिए शहतूत का रस लाभदायक होता है। सेब का जूस भी मिर्गी के रोगी को लाभ पहुंचता है।
मिर्गी के रोगी के पैरों तलवों में आक की आठ-दस बूंदे रोजाना शाम के समय मलें। ऐसा 2 महीनों तक रोजाना करें। इससे काफी लाभ मिलेगा।
तुलसी के पत्तों को पीसकर शरीर पर मलने से मिरगी के रोगी को लाभ होता है।
तुलसी के पत्तों के रस में जरा सा सेंधा नमक मिलाकर 1 -1 बूंद नाक में टपकाने से मिरगी के रोगी को लाभ होता है।
मिर्गी के रोगी को ज़रा सी हींग को निम्बू के साथ चूसने से लाभ होता है|