#राम_भजन
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि, सादर भारत शीश धरी लीन्ही ।
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी, शीश पर खड़ाऊँ, अँखिओं में पानी ।
शीश खड़ाऊ ले चला ऐसे, राम सिया जी संग हो जैसे ।
अब इनकी छाव में रहेगी राजधानी, राम भक्त ले चला रे राम की निशानी ।
पल छीन लागे सदिओं जैसे, चौदह वर्ष कटेंगे कैसे ।
जाने समय क्या खेल रचेगा, कौन मरेगा कौन बचेगा ।
कब रे मिलन के फूल खिलेंगे, नदिया के दो फूल मिलेनेगे ।
जी करता है यही बस जाए, हिल मिल चौदह वर्ष बिताएं ।
राम बिन कठिन है इक घडी बितानी, राम भक्त ले चला रे राम की निशानी ।
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी ।
तन मन बचन, उमनग अनुरागा, धीर धुरंधर धीरज त्यागा ।
भावना में बह चले धीर वीर ज्ञानी, राम भक्त ले चला रे राम की निशानी ।
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी ।
शीश खड़ाऊ ले चला ऐसे, राम सिया जी संग हो जैसे ।
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी । राम भक्त ले चला रे राम की निशानी ।
https://www.youtube.com/watch?v=PfS3gFYRcwY