ॐ नमः शिवाय
पद्मावदात-मणिकुण्डल-गोवृषाय कृष्णागरु-प्रचुर-चंदन-चर्चिताय
भस्मानुषक्त-विकचोत्पल मल्लिकाय नीलाब्जकण्ठसदृशाय नम: शिवाय ।।
अर्थ:----
स्वच्छ पद्मराग मणि के कुण्डल द्वारा किरणों के वृष्टिकारक,अगर-तगर मिश्रित चंदन से लिप्त शरीर वाले, भस्म,विकसित कमल तथा जूही के पुष्पों से सुशोभित,नील-कमल सदृश,नीलकण्ठधारी ऐसे शिवजी को मेरा नमस्कार है।
शुभ प्रभात🙏🙏