*देशी गाय बादलों की पत्नी है।*
हमारे वेदों में देशी गाय के बारे में लिखा है-
*"पर्जन्य पत्नी" अर्थात देशी गाय बादलों की पत्नी है।*
*मतलब बादल वहीं वर्षा करेंगे जहाँ देशी गाय होगी।*
आज वैज्ञानिकों ने सिद्ध भी कर दिया कि *देशी गाय जब गोबर गोमूत्र करती है तो वहाँ घास उगती है, इस घास पर एक जीवाणु पाया जाता है जिसे "स्युडोमोनास सैरिन्गी" कहते है।*
गर्मी के दिनों में यह वायुमण्डल में बादलों की ऊचाई तक चला जाता है और जब बादल आतें है तो ये जीवाणु पानी को जमने पर मजबूर कर देता है तथा बर्फ के क्रिस्टल बनाता है और ये जमें हूए बर्फ के क्रिस्टल आपस में जूडकर भारी होने लगतें है तथा अंत में नीचे गिरने लगतें हैं ।
नीचे वायुमण्डल में ताप अधिक होता है,अतः इसकी बूदें बनने लगती है और बारीश के रुप में धरती पर गिरती है।
*आज के यूग में देशी गायों की संख्या में कमी के कारण ही वर्षा में भी कमीं आयी है।*
यदि हमें जलवायू परिवर्तन से भारत को बचाना है तो देशी गायों को बचाना ही होगा।
*गाय बचेगी* *राष्ट बचेगा*